July 26, 2025

भारतीय डाक कर्मचारी संघ (BPEF – BMS से संबद्ध) के प्रयासों से GDS कर्मचारियों की ऐतिहासिक जीत – 8 वें वेतन आयोग में आधिकारिक रूप से शामिल किए गए!

लंबे समय से ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) को, जो संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभाग में कार्यरत हैं, वेतन आयोगों में शामिल नहीं किया गया था। उन्हें अंशकालिक या सीमित घंटों के कर्मचारी मानते हुए, वेतन संरचना, पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित रखा गया था।

लेकिन अब एक ऐतिहासिक निर्णय के रूप में, 22 जुलाई 2025 को राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न संख्या 223 के उत्तर के तहत, सरकार द्वारा 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की Terms of Reference में GDS कर्मचारियों को डाक विभाग के एक अधिकृत वर्ग के रूप में शामिल किया गया है। इसका अर्थ यह है कि अब उनके वेतन, सेवा शर्तें, पेंशन और लाभों की समीक्षा अन्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की तरह की जाएगी।


BGDKS – भारतीय डाक कर्मचारी संघ (BPEF – BMS से संबद्ध) – निरंतर संघर्ष का परिणाम!

यह उपलब्धि BGDKS – भारतीय डाक कर्मचारी संघ (BPEF – BMS से संबद्ध) के मजबूत नेतृत्व और निरंतर प्रयासों का फल है। वर्षों की मांग, प्रतिनिधित्व और श्रमिकों की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के कारण, सरकार को आखिरकार GDS कर्मचारियों की मांगों को मान्यता देनी पड़ी।

अब यह सुनिश्चित किया गया है कि 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाले 8वें वेतन आयोग में GDS कर्मचारियों को भी पूर्ण रूप से शामिल किया जाएगा। यह उनके लिए सम्मान और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है।


8वें वेतन आयोग की मुख्य बातें:

  • केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और सेवा लाभों की व्यापक समीक्षा।
  • GDS कर्मचारियों को एक प्रमुख वर्ग के रूप में शामिल किया गया है।
  • न्यूनतम वेतन को “गरिमामयी जीवन यापन के लिए सम्मानजनक वेतन” के रूप में तय किया जाएगा, Dr. Aykroyd फॉर्मूला और 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर।
  • परिवार की उपभोग इकाइयों को 3 से बढ़ाकर 3.6 करने की सिफारिश भी आयोग द्वारा विचाराधीन होगी।
  • लेवल 1 से लेवल 6 तक के Non-viable वेतनमानों की समीक्षा कर आवश्यक सुधार किए जाएंगे।

आभार एवं सराहना:

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए BGDKS – भारतीय डाक कर्मचारी संघ (BPEF – BMS) के नेतृत्व को हार्दिक धन्यवाद और बधाई। साथ ही उन सभी GDS साथियों को भी सलाम, जिन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित रूप में संघर्ष किया।

यह जीत इस बात का प्रमाण है कि जब श्रमिक एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तो कोई भी मांग अनसुनी नहीं रह सकती।


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